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शुक्रवार, 8 अप्रैल 2016

माता की भेंट - -तर्ज - वो दिल कहाँ से लाऊँ



तेरे द्वार कैसे आऊं मैया ज़रा बता दे 
मंझधार में फंसी हूँ तू ही रास्ता बता दे 

घेरे हुए है मुझको रंगीन वासनाएँ 
मन का नहीं भरोसा पल पल पे जो दगा दे 

मुझमे वो बल कहाँ है जो यहाँ तुझे बुला लूँ 
निर्बल को दे सहारा भव पार तू लगा दे 

लाखों उबर गए है तेरे नाम के सहारे 
सौलह भुजाओं वाली मुझको भी आसरा दे 

कैसे सुनाऊँ तुमको अपनी करुण कहानी 
शायद ये मेरे आँसू सब दास्ताँ बता दे 
@मीना गुलियानी 

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