चैन मुझे मिलता नहीं मनवा है बेचैन
दिलबर तेरी दीद को हरदम तरसे नैन
प्रीतम तुम कब आओगे और न सताओगे
हर पल पंथ निहारूँ मै होकर मै बेचैन
पल छिन राह निहारूँ मै इक पल न बिसारूँ मै
पलक न झपके मेरी निरखत हूँ दिन रैन
कैसे तोडू प्रीत को झूठी जग की रीत को
बंधन तोड़ न पाऊँ मै तड़पत हूँ दिन रैन
@मीना गुलियानी
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