मेरी आँखों से आज नींद ले गया कोई
दूर से प्यार का अपने पैगाम दे गया कोई
बात जो उसने कही बात जो मैने सुनी
क्या मगर बाते हुई रह गई वो अनसुनी
अपनी चाहत का पैगाम दे गया कोई
रात भर जागे थे हम तुमसे छुप छुपके सनम
नींद ये कैसे उडी न बता पाएंगे तुमको हम
इक तसव्वुर में ही गुमनाम कर गया कोई
हम भी बेचैन रहे कैसे पर तुमसे कहें
कितने अरमानो भरे हमने सपने थे बुने
जाने क्यों इश्क पे इल्ज़ाम दे गया कोई
@मीना गुलियानी
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