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शनिवार, 23 अप्रैल 2016

नींद ले गया कोई


मेरी आँखों से आज  नींद ले गया कोई
दूर से प्यार का अपने पैगाम दे गया कोई

                  बात जो उसने कही  बात जो मैने सुनी
                  क्या मगर बाते हुई रह गई वो अनसुनी
                  अपनी चाहत का पैगाम दे गया कोई

रात भर जागे थे हम तुमसे छुप छुपके सनम
नींद ये कैसे उडी न बता पाएंगे तुमको हम
इक तसव्वुर में ही गुमनाम कर  गया कोई

                   हम भी बेचैन रहे कैसे पर तुमसे कहें
                   कितने अरमानो भरे हमने सपने थे बुने
                   जाने क्यों इश्क पे इल्ज़ाम दे गया कोई
@मीना गुलियानी 

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