किसी ने मुझसे कहा प्रेम का पौधा
जमी देखके लगाना पड़े न पछताना
मैने कहा ये ज़मी पर लग नहीं सकता
दिलों का प्रेम ज़मी पर उग नहीं सकता
ये तो दिलों की बात है
दिलों से होती शुरुआत है
वो लोग कुछ और ही होते है
जो कुछ करने से पहले सोचते है
प्रेम तो न खेतों में उगता है
न किसी हाट,बाज़ार में बिकता है
ये तो बहुत अनमोल सौगात है
दुनिया में किसी विरले के पास है
राजा या रंक किसी का भी हो जाता है
जो इसे अपना ले उसी का हो जाता है
इसके कुछ अपने असूल होते है
हर किसी को मालूम नहीं होते है
यहाँ ज़ज्बातों की दुनिया बसती है
मौत यहाँ बहुत ही सस्ती है
खुशियाँ यहाँ पाई जाती है
और लुटाई भी जाती है
यहाँ हर पल इक इम्तहाँ होता है
हर किसी का जज़्बा फना होता है
हर कोई यहाँ खिलाड़ी नहीं होता
ऊपर वाला हर किसी पे मेहरबाँ नहीं होता
झोलियाँ वो मुरादों से भराके जाता है
वही जो उम्मीद लेके उसके दर पे आता है
@मीना गुलियानी
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