ऐ दिल तू इतना आजकल रहता है बेकरार क्यों
जो रास्ता बदल गया उसी का इंतज़ार क्यों
क्यों ढूंढता है हर घड़ी बीती सुहानी शाम को
वो लम्हा जो गुज़र गया कैसे भुलाऊँ गाँव को
नाम तेरा लिख के यूँ मिटता नहीं बार बार क्यों
फासले सारे मिट गए फिर भी तन्हा क्यों रहें
किस्मत के है फैसले शिकायतें किससे करें
अब है लिखा जो नसीब में उसका भी इंतज़ार क्यों
गुलशन में अब न वो ताज़गी फूल हुए बेनूर है
मौसम बदल गया है अब फ़िज़ा भी बेकसूर है
दिल न सता मुझे तू यूं इतना है बेकरार क्यों
@मीना गुलियानी
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