छेड़ दिया मेरी मन वीणा का तार फिर से
आज किसी ने चुपके चुपके चोरी चोरी
न जाने किस दिशा से आकर
मन पंछी को फिर भरमाकर
सौंप दिया अपने जीवन का भार
किसी ने चुपके चुपके चोरी चोरी
भँवरे ने गए फिर गाए गाने
अपने मन की प्यास बुझाने
खींच लिया अंजान पुष्प का सार
किसी ने चुपके चुपके चोरी चोरी
यौवन तो होता है दीवाना
दिल दे बैठा बन मस्ताना
घाव बताओ वार किया कब
किसी ने चुपके चुपके चोरी चोरी
@मीना गुलियानी
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