पास बैठो तो रुत ये बदल जायेगी
मौत की हर घड़ी आज टल जायेगी
तुम न आँचल को यूँ लहराया करो
गेसुओं से न चेहरा छुपाया करो
चेहरा रोशन करो रुत मचल जायेगी
दर्दे दिल को न अपने दबाया करो
आँसुओ को न अपने छुपाया करो
तेरे इक कतरे से जां निकल जायेगी
आज हँस दो ज़रा तो बहार आएगी
रुत ये सारी सुहानी नज़र आएगी
वरना दिन में ही ये शमा जल जायेगी
देखो फूलों पे कितना निखार आ गया
तेरा यूँ मुस्कुराना जी को भा गया
दिल की हर इक तमन्ना निकल जायेगी
@मीना गुलियानी
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