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बुधवार, 6 अप्रैल 2016

करती है बेकरार


ये रुत जाने आई कैसी करती है मुझको बेकरार 
मै भी न जानू मेरा आँचल लहराए क्यों बार बार 

                   वादी में झूमूँ मै तो घड़ी घड़ी 
                   मस्ती में डोलूं इत उत घड़ी  घड़ी 
                   दिल खोया जाए किसको बुलाये 
                   करता है किसका इंतज़ार 

देखो मस्ती सी छाई है प्यार की 
खिल गई है कली भी कचनार की 
झूले पड़ गए सावन बुलाये 
पड़ने लगी है फिर फुहार 

                   चंदा भी देखो है गीत गाने लगा 
                   चाँदनी के संग में गुनगुनाने लगा 
                   तारों की डोली लेकर आए 
                   किसके लिए ये सब कहार
 @मीना गुलियानी 

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