बता दे मुझको दिल तेरे में
जगह मुहब्ब्त की तंग क्यों है
खुद ने दी है जब इतनी बरकत
तो दिल तेरा इतना तंग क्यों है
सभी इनायत किया है तुझको
ये ज़र ज़मी ओ तमाम खुशियाँ
ख्वाहिशों में कमी न तुझको
देने में तेरा हाथ तंग क्यों है
हर एक ज़ज्बे से है सजाया
तुझे नवाज़ा तुझे बनाया
सलीका हर एक तुझे सिखाया
गुरुर इतना तेरे संग क्यों है
मिटा दे हस्ती चाहे जो पाना
आसां नहीं है ये इम्तेहाँ भी
मंजिल का रास्ता हुआ है मुश्किल
हौंसला तुझमें कम भी क्यों है
@मीना गुलियानी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें