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रविवार, 3 अप्रैल 2016

नई क्रान्ति के सैनानी


तुम नई क्रान्ति के सैनानी
तुम स्वर्ग धरा पर ला सकते
यदि तुममे संबल साहस है
तुम दुनिया नई बना सकते

                       तुम इन हाथो की मेहनत से
                       मिट्टी को सोना कर  सकते
                       धरती में छिपे  खज़ाने से
                       भारत का आँचल भर सकते

आज क्रान्ति के बीज बरसते
डोल रहे पेड़ों के पात
आज बन्धनों में जकड़ा है
मानवता का जर्जर गात

                         नव संसृति संवाहक बनकर
                        किरण बाण से दो तुम चीर
                        आज पुरातन गौरव का फिर
                         लहराए सागर गम्भीर

अम्बर के चाँद सितारों में
संदेश नया  सा आता है
सुषमा सीमित है कहीं नही
तुमको आकाश बुलाता है
@मीना गुलियानी


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