तुम नई क्रान्ति के सैनानी
तुम स्वर्ग धरा पर ला सकते
यदि तुममे संबल साहस है
तुम दुनिया नई बना सकते
तुम इन हाथो की मेहनत से
मिट्टी को सोना कर सकते
धरती में छिपे खज़ाने से
भारत का आँचल भर सकते
आज क्रान्ति के बीज बरसते
डोल रहे पेड़ों के पात
आज बन्धनों में जकड़ा है
मानवता का जर्जर गात
नव संसृति संवाहक बनकर
किरण बाण से दो तुम चीर
आज पुरातन गौरव का फिर
लहराए सागर गम्भीर
अम्बर के चाँद सितारों में
संदेश नया सा आता है
सुषमा सीमित है कहीं नही
तुमको आकाश बुलाता है
@मीना गुलियानी
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