मै इस जीवन से अब घबरा गया हूँ
मुझे तू अपना बस दीवाना कर दे
जुनूने इश्क मुझको अब कहाँ पे लेके है आया
जहाँ देखा तुझे देखा जहाँ ढूँढा तुझे पाया
ज़माने भर से तन्हा रह गया हूँ
कहाँ से ये फरेब जां उलझकर जिंदगी पाई
जहाँ तक रौशनी देखी वहीं पे होती रुसवाई
फरेबो से तो मै घबरा गया हूँ
मेरी किश्ती भी देखो आज साहिल से ही टकराए
जहाँ देखा वहीं पर टूटते सपने नज़र आये
मौजो से तो मै टकरा गया हूँ
@मीना गुलियानी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें