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गुरुवार, 14 अप्रैल 2016

आये दिन बहार के



आये दिन बहार के चाहत के इकरार के
क्यों न मौसम को फिर गुलज़ार करें

                    देखो कभी फिर से तुम न दिल से यूं खेलना
                    बड़ा ही मुश्किल  होता है गमों को यूँ झेलना
                    हमने तो झेले है गम लाखों इस संसार के

बीती हुई बातों को तू मन से विसार दे
छोटी सी जिंदगी है हँसके गुज़ार ले
अपनी मुसीबतें मेरी चाहत पे वार के

                    कभी भी कसम लो मेरी हमसे न रूठना
                   वरना  भारी पड़ेगा दिल का यूँ टूटना
                   दिल की बाज़ी भी खेली हमने तो दिल हार के
@मीना गुलियानी 

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