तुमने वफ़ा न की थी हमको जफ़ा न आई
दिल है तुम्हारा पत्थर उससे ही मात खाई
इस दिल ने हमको भी तो लाके कहाँ पे छोड़ा
किससे करें शिकायत जब आग खुद लगाई
बर्बादियों का मंज़र जाके किसे दिखाएँ
खुद ही बने थे दुश्मन कैसी ये बेवफाई
किससे करें गिला हम जाने ये क्या हुआ है
अब रोशनी भी गुम है कैसी ये रात आई
पूछो जमाने भर से क्या हाल है हमारा
अब तो खुद ही जाने दुनिया न समझ पाई
@मीना गुलियानी
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