यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 30 जनवरी 2018

इक शमा सी जलाए हुए

मुदद्तें बीत गईं जिन्हें मुस्कुराए हुए
कहाँ जाएँ वो जग के ठुकराए हुए

खुश रहते हैं वो अपनी ही तन्हाई में
सदियाँ बीत गईं त्यौहार मनाये हुए

जिंदगी में जाने कितने ग़म समेटे हैं
अरसा गुज़रा है उनको मुस्कुराए हुए

किसी की याद में खोए हुए बैठे हैं
दिल में इक शमा सी जलाए हुए
@मीना गुलियानी

3 टिप्‍पणियां: