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बुधवार, 31 जनवरी 2018

वक्त यादों में कैद हो जाता है

लम्हा लम्हा यूँ ही गुज़र जाता है
गुज़रा वक्त फिर लौटके न आता है

कीमती हो जाता है वो गुज़रा लम्हा
जब कोई दूर छिटककर चला जाता है

जब किसी को शिदद्त से याद करते हैं
पर वो सामने कभी नज़र नहीं आता है

आँख से निकले हुए आँसू की तरह
वो लम्हा लम्हा सरकता जाता है

यही सोचती हूँ कुछ वक्त और होता
गुज़रा वक्त यादों में कैद हो जाता है
@मीना गुलियानी 

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