दरिया किनारे पे भी प्यासा मैं रहा
तुम लहर बनकर मचलती ही रही
तुम मुझसे बहुत दूर चले आए
उम्मीद की शमा भी बुझने चली
मेरा तुम जिक्र न करना किसी से
रह गया रिश्ता क्या अजनबी से
अगर ढूँढ लेते तो मंजिल भी पा जाते
तुमने ढूँढना चाहा ही नहीं पता मेरा
दुआ तुम करो निज़ात पाने की
हो न पायेगा बिन मेरे गुज़र तेरा
@मीना गुलियानी
तुम लहर बनकर मचलती ही रही
तुम मुझसे बहुत दूर चले आए
उम्मीद की शमा भी बुझने चली
मेरा तुम जिक्र न करना किसी से
रह गया रिश्ता क्या अजनबी से
अगर ढूँढ लेते तो मंजिल भी पा जाते
तुमने ढूँढना चाहा ही नहीं पता मेरा
दुआ तुम करो निज़ात पाने की
हो न पायेगा बिन मेरे गुज़र तेरा
@मीना गुलियानी
बहुत ही सुन्दर 👌
जवाब देंहटाएंThanks for ur comments
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