चाँद छुप गया है बदली में
अब वो पहलू बदल रही होगी
सुबह के वक्त इन्हीं वादियों में
वो मेरे साथ चल रही होगी
घने पेड़ों की घनी छाँव तले
उसकी हसरत मचल रही होगी
शाम को झिलमिलाते सितारों तले
दबे पाँव घास पे वो चल रही होगी
रात होने को आई है अब तो
झरोखे में कंदील जल रही होगी
@मीना गुलियानी
अब वो पहलू बदल रही होगी
सुबह के वक्त इन्हीं वादियों में
वो मेरे साथ चल रही होगी
घने पेड़ों की घनी छाँव तले
उसकी हसरत मचल रही होगी
शाम को झिलमिलाते सितारों तले
दबे पाँव घास पे वो चल रही होगी
रात होने को आई है अब तो
झरोखे में कंदील जल रही होगी
@मीना गुलियानी
बेहद हृदयस्पर्शी..रचना
जवाब देंहटाएंघने पेड़ो की घनी छाँव तले
उसकी हसरत मचल रही होगी।
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंThanks all
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