अपने खूने ज़िगर की स्याही
में कलम डुबोकर हमने
भेजकर इक ख़त को हमने
चर्चा वफ़ा का सरेआम कर दिया
सोचा था घुट घुटके मरेँगे
लब सी लेंगे उफ़ न करेंगे
प्यार के रिश्ते को सबने
पर बदनाम कर दिया
तोड़के हर ज़ुल्मों की जंजीरे
क्या रोकेंगीं ये शमशीरें
ठान लिया जब डरना कैसा
हमने अपना काम कर दिया
@मीना गुलियानी
में कलम डुबोकर हमने
भेजकर इक ख़त को हमने
चर्चा वफ़ा का सरेआम कर दिया
सोचा था घुट घुटके मरेँगे
लब सी लेंगे उफ़ न करेंगे
प्यार के रिश्ते को सबने
पर बदनाम कर दिया
तोड़के हर ज़ुल्मों की जंजीरे
क्या रोकेंगीं ये शमशीरें
ठान लिया जब डरना कैसा
हमने अपना काम कर दिया
@मीना गुलियानी
वाह! बहुत खूब!!!
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