प्रभु जी तेरी शरण पड़ी है दासी
भव पार करो काटो यम की फांसी
मैंने कष्ट बहुत है पाया
भटक जून चौरासी
मानुष का तन पाया
मिटाओ दुखों की राशि
मैंने बहुत पाप है कीन्हा
संसारी भोगों की आशा ने
दुःख बहुत मुझे दीन्हा
ये कामना है सत्यानाशी
प्रभु जी मैंने भक्ति नहीं कीन्ही
झूठे भोगों की तृष्णा में
उम्र सारी खो दीन्हीं
दुःख मेरे मेटो अविनाशी
प्रभु जी अब सारी आशा टूटी
तेरे चरणों की धूलि लागे
मुझे एक संजीवनी बूटी
रहूँ नित दर्शन की प्यासी
@मीना गुलियानी
भव पार करो काटो यम की फांसी
मैंने कष्ट बहुत है पाया
भटक जून चौरासी
मानुष का तन पाया
मिटाओ दुखों की राशि
मैंने बहुत पाप है कीन्हा
संसारी भोगों की आशा ने
दुःख बहुत मुझे दीन्हा
ये कामना है सत्यानाशी
प्रभु जी मैंने भक्ति नहीं कीन्ही
झूठे भोगों की तृष्णा में
उम्र सारी खो दीन्हीं
दुःख मेरे मेटो अविनाशी
प्रभु जी अब सारी आशा टूटी
तेरे चरणों की धूलि लागे
मुझे एक संजीवनी बूटी
रहूँ नित दर्शन की प्यासी
@मीना गुलियानी
मैंने कष्ट बहुत है पाया
जवाब देंहटाएंभटक जून चौरासी
मानुष का तन पाया
मिटाओ दुखों की राशि...बहुत सुन्दर सखी
सादर