मन्दाक्रान्ता :-
लक्षण :- मन्दाक्रान्ता म भ न त त गा गा कहें छन्दप्रेमी
व्याख्या :-
यह वर्णिक सम -छंद है। इसके प्रत्येक चरण में क्रमश: मगण , भगण ,नगण
तगण तगण तथा दो गुरु के क्रम से 17 -17 वर्ण होते है।
उदाहरण :-
जो मै कोई विहग उड़ता व्योम में देखती हूँ
तो उतकण्ठा वश विवश हो चित्त में सोचती हूँ
होते मेरे निबल तन में पक्ष जो पंक्षियों से
तो यो ही मै समुद उड़ती श्याम के पास जाती
व्याख्या :-
उपर्युक्त छंद के प्रत्येक चरण में क्रमश: मगण , भगण , नगण ,
तगण ,, तगण तथा दो गुरु के क्रम से 17 -17 वर्ण है। अत: यह
मन्दाक्रान्ता छंद है।
लक्षण :- मन्दाक्रान्ता म भ न त त गा गा कहें छन्दप्रेमी
व्याख्या :-
यह वर्णिक सम -छंद है। इसके प्रत्येक चरण में क्रमश: मगण , भगण ,नगण
तगण तगण तथा दो गुरु के क्रम से 17 -17 वर्ण होते है।
उदाहरण :-
जो मै कोई विहग उड़ता व्योम में देखती हूँ
तो उतकण्ठा वश विवश हो चित्त में सोचती हूँ
होते मेरे निबल तन में पक्ष जो पंक्षियों से
तो यो ही मै समुद उड़ती श्याम के पास जाती
व्याख्या :-
उपर्युक्त छंद के प्रत्येक चरण में क्रमश: मगण , भगण , नगण ,
तगण ,, तगण तथा दो गुरु के क्रम से 17 -17 वर्ण है। अत: यह
मन्दाक्रान्ता छंद है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें