यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, 22 दिसंबर 2018

आ जाओ

मेरे  दिले नादाँ ने पुकारा तुमको
सदा तुम  सुनके इसकी आ जाओ

दुनिया से कुछ नहीं शिकवा है मुझे
तुमसे शिकवा है मुझको आ जाओ

वही एहसास वही कशमकश ज़ारी है
दिल की तिश्नगी मिटाने आ जाओ

जिस घरौंदे  को हमने  बसाया था
वो बिखर  न जाए कहीं आ जाओ
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें