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शनिवार, 30 जनवरी 2021

दर्शन मांगू देयो प्रभु मेरे

दर्शन मांगू देयो  प्रभु मेरे

 दर्शन मांगू देयो  प्रभु मेरे 


हाल न मेरा कोई जाने 

घायल की गति घायल जाने 


तेरे सिवा न भाये दूजा 

करूँ मैं निशदिन तेरी ही पूजा 


सिमरूँ तुझे मैं शाम सवेरे 

छाये हैं चारों  ओर अँधेरे 

दर्शन मांगू देयो प्रभु मेरे 


सोमवार, 25 जनवरी 2021

जिंदगी

कल जिंदगी की झलक देखी 

मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी 

मैंने उसे ढूँढा था यहाँ वहाँ 

वो हंसकर गुनगुना रही थी 


कितने समय बाद पाया मैंने भी करार 

कितने प्यार से मुझे थपथपा रही थी 

क्यों खफ़ा रहते हैं सबब बतला रही थी 

जिंदगी दर्द देके जीना सीखा रही थी 


चोट खा के भी मुस्कुराना पड़ेगा 

रट रट भी हमे गाना पड़ेगा 

हँसी  का नाम ही तो जिंदगी है 

जीने का सलीका सीखा रही थी 

@मीना गुलियानी 

नवदीप जलाएँ

आज सुबह से ठण्डक कुछ बढ़ गई है 
कोहरे की चादर उस पर भी पड़ गई है 

अपने प्यार की गर्माहट उसमें भर दें 
मन की कटुता मिटा रिश्ते जीवंत कर दें 

फिर से बुने सपने संवेदना जगायें 
अन्धकार को मिटाकर नवदीप जलाएँ 
@मीना गुलियानी 

 विहंगिनी (भाग 3 )में संकलित मेरी रचना 

अवलोकनार्थ प्रस्तुत है जिसके सम्पादक श्री पवन जैन 

के प्रति मैं आभारी हूँ। 

भोर आती तो है

कितनी चंचल है नदी की ये धारा 

इस पार से उस पार जाती तो है 


दिल का दिया भी बुझने को  है  

लाओ चिंगारी इसकी बाती तो है 


लहरों का अस्तित्व मिटने से पहले 

सागर के तट पर टकराती तो है 


संध्या ने ओढी है काली चुनरिया 

फिर रात के बाद भोर आती तो है 

@मीना गुलियानी