कल जिंदगी की झलक देखी
मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी
मैंने उसे ढूँढा था यहाँ वहाँ
वो हंसकर गुनगुना रही थी
कितने समय बाद पाया मैंने भी करार
कितने प्यार से मुझे थपथपा रही थी
क्यों खफ़ा रहते हैं सबब बतला रही थी
जिंदगी दर्द देके जीना सीखा रही थी
चोट खा के भी मुस्कुराना पड़ेगा
रट रट भी हमे गाना पड़ेगा
हँसी का नाम ही तो जिंदगी है
जीने का सलीका सीखा रही थी
@मीना गुलियानी
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