मुझे आस तेरी मैया न निराश मुझे करना
सब कष्ट हरो मेरे आँचल की छाँव करना
मेरे मन के द्वारे में आके करलो बसेरा माँ
तेरी जोत जले मन में हो दूर अँधेरा माँ
मैं आया शरण तेरी मुझे दर्श दिखा देना
मेरी आस का बंधन माँ कहीं टूट न जाए
क्या सांस का भरोसा पल आये या न आये
मेरे नैना प्यासे हैं मेरी प्यास बुझा देना
सब देख लिया जग में माँ कोई नहीं अपना
सब झूठे नाते हैं जग सारा इक सपना
मैं भटका राही हूँ तू नज़रे कर्म करना
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें