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बुधवार, 11 मार्च 2020

हवाओं पर लिखा

मैंने अपना पैग़ाम हवाओं पर लिखा
हवाओं ने उसे पूरी वादी में फैलाया
फूलों ने अपनी खुशबु से महकाया
भँवरों ने भी  गुञ्जन से गुनगुनाया
कलियों ने अपनी सुरभि को लुटाया
मेघों ने भी घटा संग रास को रचाया  
फिर मेघ ने धरती पर पानी बरसाया
चंदा ने चाँदनी प्रियतमा को रिझाया
धरा ने पायल खनकाकर गीत गाया
तुमने सुना  पैगाम क्या असर लाया 
@मीना गुलियानी                                                        

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