अक्सर जैसा सोचते हैं वैसा होता नहीं
वक्त कभी भी एक सा रहता ही नहीं
बदलेगा यह मौसम भी ज़रूर फ़िक्र नहीं
तू मेरे पास ही रहना दूर कहीं जाना नहीं
@मीना गुलियानी
भूल जा बीती बातों को जो हुआ सो हुआ
अब सोचने से क्या होगा जो हुआ सो हुआ
सब मर्जी है ऊपरवाले की जो खुद ही
सबका हिसाब करे वो कर्त्ता धर्ता है
हर कर्म तोले वो तराजू में न नफ़ा
न कम वो तोलता है उसके आगे न
चले किसी की न वो झूठ बोलता है
जिंदगी का सदियों से सिलसिला है
सुनाये वो भी सबका सही फ़ैसला है
@मीना गुलियानी
कितने सौभाग्य से जीवन में
मेरे योरकोट है आया
सुबह शाम हर पल ही
ध्यान में कोलेब है छाया
समय गुज़र जाता है मेरा
पता नहीं कब होवे अँधेरा
इतना मुझको ये भाता है
मन इसमें ही रम जाता है
योरकोट और मैं दोनों ही
एक दूजे के पूरक जैसे हैं
दिन प्रतिदिन समृद्ध बने
रिश्ता इससे अटूट बने
@मीना गुलियानी
तुम्हारी धुन में हम यूँ चलते गए
जाने कितने पड़ाव तय करते गए
क्या तुमको भी है इसकी ख़बर
चलेंगे जब तक सांस है उम्र भर
तेरा ही साया बनके चले हरदम
अब तो यही तमन्ना है दिल की
तेरे ही साये में निकले मेरा दम
@मीना गुलियानी
जहाँ कहीं भी देखो सभी गुमसुम हैं
न जाने सबको किस बात की धुन है
हर तरफ यहाँ तन्हाई का आलम है
ऊपर से देखने पर हैं जज़्बाती
भीतर से वो सब हैं प्रतिघाती
सब चेहरे पर नकाब ओढ़े हुए
भीतर उनके ज़मीर हैं सोये हुए
हर तरफ सन्नाटा सा पसरा हुआ
आदमी आज शैतान सा बना हुआ
हिंसा का साम्राज्य सा छाया हुआ
शरीफ आदमी फिरे ख़ौफ़ खाया हुआ
उसके चेहरे का रंग है उड़ा हुआ
वो खुद के वतन में पराया हुआ
@मीना गुलियानी
जो धीर हो, गम्भीर हो
संयमी हो एवं लक्ष्य की
प्राप्ति हेतु प्रयत्नशील हो
आत्मविश्वास परिपूर्ण हो
जिज्ञासु हो कर्मशील हो
परिश्रमी हो मर्यादित हो
वक्त का उसे एहसास हो
वही चैम्पियन बनता है
@मीना गुलियानी
दुःख तो सिर्फ इस बात का है
तुमने कभी मुझे समझा नहीं
मेरे दिल के जख्मों को कभी
तुमने प्यार से सहलाया नहीं
दिल क्यों ज़ार ज़ार रोता है
ये तुमने कभी पूछा ही नहीं
मेरे जज़्बातों को भी तुमने
जानने की कोशिश नहीं की
तुमने मुझे अभी पहचाना नहीं
@मीना गुलियानी
यह कैसा शहर है जहाँ पर
सिर्फ मकानों के जंगल हैं
हरियाली ,नदिया ,झरनों
इन सबसे दूर चट्टानों में
एकान्त में कोई आस पास
सन्नाटे के अतिरिक्त नहीं है
रात होते ही तेज़ हवा की सांय
मेरी धड़कनों को बढ़ा देती है
मुझे तो अपना गाँव पसंद है
जहाँ हम खेलकर बड़े हुए
इस जंगल से दूर ले चलो
@मीना गुलियानी
कहाँ है अब वो मेरा भारत
कहते थे जिसे हम सोन चिरैया
अब वीणा की तारें भी टूटीं
कैसे होगा ता ता थैया
भारत के नौजवानों जागो
देश को खुशहाल बनाओ तुम
@मीना गुलियानी
हो जाता है कभी कभी जब बारिश आती है
बिजली भी कौंध कौंध कर डरा जाती है
बरसों के भूले बिसरे पल याद दिलाती है
दिल में इक हलचल और तूफ़ान उठाती है
@मीना गुलियानी
ज़िन्दगी ज़िन्दादिली का नाम है
है नहीं ऐसी तो फिर नाकाम है
जिसने खुद्दारी से जीना सीखा है
हँसते हँसते जीना मरना सीखा है
ठोकरों पे उसकी सारा जहान है
@मीना गुलियानी
श्रीमती सुषमा स्वराज जी के निधन का समाचार
सुनकर स्तब्ध हूँ ! सुषमा जी अपने राष्ट्र उत्थान
के कार्यों से सबके हृदय में सदैव जीवित रहेंगी !
विनम्र श्रद्धांजलि - ॐ शान्ति शान्ति शान्ति
@मीना गुलियानी
क्या मिलेगा तुम्हें बार बार मुझको सताके
कभी तो बात करो मुझसे नज़रें मिलाके
न यूँ ही दूर बैठो मुझसे तुम नाराज़ होके
किया करो मन की बातेँ तुम मुस्कुराके
@मीना गुलियानी
सूरज हमें जीने का सही तरीका समझाता है
शुभ ज्योति के पुंज अपना आलोक फैलाता है
सर्व व्याधि नाशक पुष्टि का ज्ञान कराता है
शुद्ध आत्मा करके योग पथ पर ले जाता है
@मीना गुलियानी