यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 23 मार्च 2018

माता की भेंट -सब दास्तां बता दे

तेरे द्वार कैसे आऊँ मैया ज़रा बता दे
मँझधार में फंसी हूँ तू ही रास्ता बता दे

घेरे हुए हैं मुझको रंगीन वासनाएँ
मन का नहीं भरोसा पग पग पे जो दगा दे


मुझमें वो बल कहाँ है जो तुझे यहाँ बुला लूँ
निर्बल को दे सहारा, भव पार तू लगा दे

लाखों उबर गए हैं तेरे नाम के सहारे
सौलह भुजाओं वाली मुझको भी आसरा दे

कैसे सुनाऊँ तुमको, अपनी करुण कहानी
शायद ये मेरे आंसू ,सब दास्तां बता दे
@मीना गुलियानी



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें