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रविवार, 4 मार्च 2018

जग में तेरा आवागमन

मृत्यु के डर से छटपटाता है मन
सबको मुक्ति की चाह मिले न राह
पाप में सदैव डूबा रहता चंचल मन
पञ्चतत्व का है तन करे न चिंतन
तन अस्थाई और मोहपाश के बंधन
करे न कृष्ण चिंतन छूटे ये बंधन
काम ,क्रोध,ईर्ष्या में लीन है मन
वक्त है सम्भल नहीं व्यर्थ है जीवन
कर आत्मचिंतन छोड़ सारे ये भ्रम
ताकि न हो जग  में तेरा आवागमन
@मीना गुलियानी 

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