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शुक्रवार, 9 मार्च 2018

जीवन की भंवर से उबरूँ

जी चाहता है पँख लगाकर
नील गगन की परिक्रमा करूँ
आकाश की ऊँचाइयाँ छू लूँ
जहाँ घुटन भरे बादल न हों
न ही भेदभाव या स्वार्थ हो
हर तनाव ताप से मुक्त होऊं
जीवन सागर की गहराई में
फिर डूबकर गोता लगाऊँ
जीवन के सत्य के मोती ढूँढूँ
जीवन में मधुरता भर लूँ
उपवन सी ताज़गी पा लूँ
मन की भटकन खत्म करूँ
सरल शान्ति की आगोश पाऊँ
और जीवन की भंवर से उबरूँ
@मीना गुलियानी 

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