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मंगलवार, 6 मार्च 2018

मुझे तेरी सिसकियाँ

क्यों तेरे चेहरे पर दिखाई देती हैं वीरानियाँ
अजीब सी करती हैं मुझसे ये सरगोशियाँ

क्यों हैं फूलों के बगीचे यूँ पड़े सुनसान से
दर्द के गुल खिले छाईं ग़म की बदलियाँ

क्यों छिपा रहे हो हाथों से अपना चेहरा तुम
तेरे चेहरे से अयाँ होती कितनी कहानियाँ

दिल तेरा यूँ टूटा टूटा रोता है चुपचाप क्यों
अक्सर सुनाई देती हैं मुझे तेरी सिसकियाँ
@मीना गुलियानी

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