यह ब्लॉग खोजें

गुरुवार, 4 जुलाई 2019

आगे बढ़ना ही होगा

तुमको उगते सूरज की जैसे
आगे बढ़ना ही होगा
चाहे दिल तुम्हारा टूटे
चाहे तुमसे कोई रूठे
सब कुछ तुम्हें भुलाकर
वर्तमान में जीना होगा
  जड़ता को चैतन्य में
परिवर्तित करना होगा
@मीना गुलियानी





कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें