पास से वो गुज़र गए
हम तो वहीं ठहऱ गए
पेड़ों से पत्ते झड़ गए
सब फूल भी बिखर गए
पल भर जो रुकते वो पास
न होता मन हमारा उदास
क्यों चेहरे पे है बेचारगी
ऐसी भी क्या है नाराज़गी
ये गुलशन अगर मुरझायेगा
तुमको सुकूँ न मिल पायेगा
@मीना गुलियानी
हम तो वहीं ठहऱ गए
पेड़ों से पत्ते झड़ गए
सब फूल भी बिखर गए
पल भर जो रुकते वो पास
न होता मन हमारा उदास
क्यों चेहरे पे है बेचारगी
ऐसी भी क्या है नाराज़गी
ये गुलशन अगर मुरझायेगा
तुमको सुकूँ न मिल पायेगा
@मीना गुलियानी
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