आसान नहीं था आकाश अपना तलाशना
आसान नहीं था मन का रास्ता नापना
क्योंकि हर नज़र प्रश्न पूछ रही थी
उस पर मेरी ख़ामोशी ज़ुबान बन गई
मेरी हसरतो ने मुझे बेज़ार कर दिया
मँझधार को ही अपना साहिल बना दिया
@मीना गुलियानी
आसान नहीं था मन का रास्ता नापना
क्योंकि हर नज़र प्रश्न पूछ रही थी
उस पर मेरी ख़ामोशी ज़ुबान बन गई
मेरी हसरतो ने मुझे बेज़ार कर दिया
मँझधार को ही अपना साहिल बना दिया
@मीना गुलियानी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें