गौर करें तो प्रकृति में जीवन है
हर रूप में ये सजीव हो जाती है
चित्रकला ,मूर्तिकला ,संगीत ,नृत्य
सभी में हम साकार देखते हैं
ये देखने वाले पर निर्भर है कि
वो किस रूप में उसे देखता है
प्रकृति का हर रूप मनोहर है
पेड़ों की डालियों में फूलों में
पशुओं की बोली पक्षियों के
कलरव चहचहाहट में इन
सभी में प्रकृति समाहित है
बादलों की गड़गड़ाहट में
बिजली की चमक गर्जन में
सभी में प्रकृति का स्वरूप है
सृष्टि का उद्भव और अंत है
@मीना गुलियानी
हर रूप में ये सजीव हो जाती है
चित्रकला ,मूर्तिकला ,संगीत ,नृत्य
सभी में हम साकार देखते हैं
ये देखने वाले पर निर्भर है कि
वो किस रूप में उसे देखता है
प्रकृति का हर रूप मनोहर है
पेड़ों की डालियों में फूलों में
पशुओं की बोली पक्षियों के
कलरव चहचहाहट में इन
सभी में प्रकृति समाहित है
बादलों की गड़गड़ाहट में
बिजली की चमक गर्जन में
सभी में प्रकृति का स्वरूप है
सृष्टि का उद्भव और अंत है
@मीना गुलियानी
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