जब मनवा बेपरवाह होकर जीता है
उसी जिंदगी को सार्थक कहते हैं
क्योंकि उसमें कोई लाग लपेट नहीं
ईश्वर भी उसे ठंडी छाँव में रखता है
जिसे वो कभी जान भी नहीं पाता है
@मीना गुलियानी
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