इक दिया तेरी यादों का हम जलाते हैं
तुम जब देखकर अनदेखा करती हो
तुम्हारी दी हुई चोट को सहन करते हैं
@मीना गुलियानी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें