तेरे दर पे आऊँ फूल चढाऊँ
सूने मन के आँगन ने दीव जलाऊँ
दिल ने सजदे किये आँसुओ को लिए
दे दो दीदार तुम क्यों हो रूठे हुए
कभी कभी सोचूँ हुई क्या खतायें
किस बात पर हमको दी हैं सजाएँ
तेरे नाम का मतवाला दिल हो गया
मैं टी बेखुदी में जाने क्यों खो गया
चरणों में रख्कर सर अपने को
कभी तो तरस खाओ कभी मुस्कुराओ
अब रूठोगे तुम हमसे वादा करो
माफ़ करदो हमे अब न रूठा करो
दिल को तसल्ली मिलेगी तबही
हाथ तेरा नेरे सर और आए
@मीना गुलियानी
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