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गुरुवार, 26 सितंबर 2019

समुन्द्र बनेगी जिंदगी

सब अपनी सूरत को ही संवारते रहते हैं
सीरत की तरफ किसी की नज़र नहीं है
इसलिए धूप  का कतरा बन गई जिंदगी
मुक्ति को भी आज छटपटा रही जिंदगी
जो आत्मचिंतन करेगा संवरेगी जिंदगी
नहीं तो पीड़ा का समुन्द्र बनेगी जिंदगी
@मीना गुलियानी 

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