यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, 7 सितंबर 2019

कर्ज़ है

ज़िन्दगी और मौत के दरम्यां
फ़ासला ज़रा सा ही तो था
अगर तुम वक्त पर नहीं आते
तो हम कबके मर गए होते
तुमने ही समय पर आकर
डॉक्टर को बुलाया जान बचाई
मेरी ज़िन्दगी पर ये कर्ज़ है
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें