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सोमवार, 23 सितंबर 2019

तय करते गए

सफर पर चलते हमने देखा ही नहीं
कितने निशां बने कदमों के नीचे
कितने ही पहाड़ों को लांघकर आये
कितने ही जंगलों से भी हम गुज़रे
कितनी नदियों के उस पार भी गए
हमारे कदम रुके नहीं बस चलते गए
खुले आसमान के नीचे कदमों के निशां
हम बनाकर चुपचाप मंजिल की ओर
बढ़ते गए सफर अपना तय करते गए
@मीना गुलियानी 

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