यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 27 सितंबर 2019

कहीं डगमगायें

काश इस मंज़र में तुम साथ होते
तो जिंदगी का सफर कट जाता
यूँ तो हर कोई अन्जाना लगता है
तुम्हारा साथ अपना सा लगता है
हर कदम सोचकर हम बढ़ा रहे हैं
मंजिल पे कदम न कहीं डगमगायें
@मीना गुलियानी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें