दिल बन्द बन्द सा है
ये कुछ तंग तंग सा है
आओ इसे कैद से छुड़ाओ
खुली हवा में इसको लाओ
तड़प रहा है गले लगाओ
सोई धड़कन को जगाओ
दिल की उमंगें जगाओ
नए सपनों को सजाओ
@मीना गुलियानी
मिलके दुश्मनों से क्या होगा हासिल हमें
गर आपसे न कभी फिर हम मिल पायेंगे
दुश्मनों को तो बहुत सुकून मिल जायेगा
जब वो हम दोनोँ को फिर से जुदा पायेंगे
@मीना गुलियानी
आप आके मुझसे मिल जाइये
इसके सिवा न मुझे कुछ चाहिए
हसरत भरा है ये दिल है मेरा
इसे इतना भी तो न तडपाइये
कबसे दीदार को तेरे तरसे मन
इल्तज़ा इतनी सी न ठुकराइये
चातक सा प्यासा है मेरा मन
आप बनके मेघ बरस जाइये
@मीना गुलियानी
चाँद तू कितना ही खूबसूरत है
पर मेरे पिया के आगे फीका है
तू हर दिन घटता बढ़ता रहता है
उनका रूप तो निखरा रहता है
तू गगन विशाल में दूर रहता है
वो हर पल मेरे दिल में रहता है
तुझको हम दूर से सिर्फ देखते हैं
लेकिन हम सुख दुःख बाँटते हैं
तू विरह की अग्नि जलाता है
वो हर पीड़ा को ही मिटाता है
तू तो सिर्फ रात को दिखता है
मेरा पिया से गहरा रिश्ता है
उनके बिन मुझे चैन न आता है
सिर्फ पिया ही मुझको भाता है
@मीना गुलियानी
मंज़र बदला है पर्यावरण का
बादल बिन बरसे लौट गए
धरा भी बहुत ही प्यासी है
किसानों में छाई उदासी है
वृक्षों ने सब पत्ते टपकाये
हरियाली कहीं नज़र न आये
पता नहीं कब बरखा रानी
सुध ले और बरसाए पानी
@मीना गुलियानी
अब मंज़र बदल गया है
वो हालात अब नहीं हैं
वो जज़्बात अब नहीं हैं
जो ढूँढ़ती थी मुझको
वो निगाहेँ बदल गई हैं
लगता है क्यों मुझे ऐसे
जैसे तू भी बदल गया है
कहाँ गुम हुई वो सुबह
कहाँ खो गई है वो शाम
जहाँ बाग़ में थे चलते
हम दोनों ही नंगे पाँव
तेरे दिल को भी शायद
मेरी तलब अब नहीं है
तेरी आँखों की खामोशी
सब कुछ बयां कर रही है
जिसका डर था मुझको
शायद वो ही हो गया है
@मीना गुलियानी
बहस मत करो
विवेक से काम लो
मन शांत करो
बहस से बात बढ़ेगी
जिससे चिंता होगी
विवेक खो देंगे
अपमान भी होगा
सम्मान खो देंगे
रिश्ते टूट जायेंगे
सब रूठ जायेंगे
दुश्मनी बढ़ जायेगी
मुसीबत बढ़ जायेगी
इससे हल न मिलेगा
मिलकर हल ढूँढो
हल मिल जायेगा
संकट टल जायेगा
@मीना गुलियानी
वजह कुछ भी नहीं थी फिर
तुम क्यों रूठ गए मुझसे
ऐसी क्या ख़ता हुई मुझसे
सब नाराज़ हो गए मुझसे
तुम बिन व्यथा कहूँ किससे
सोचो अब कैसे मिलें तुझसे
जिंदगी भी रूठ गई मुझसे
अब आके मिल जाओ मुझसे
जियेंगे कैसे बिना मिले तुझसे
@मीना गुलियानी
किसी के आगे हाथ फैलाना
हमको तो मंजूर नहीं
बनते काम में रोड़े अटकाना
हमको तो मंजूर नहीं
स्वार्थहित किसी को बहकाना
हमको तो मंजूर नहीं
किसी पे झूठा लांछन लगाना
हमको तो मंजूर नहीं
अफवाहें फैलाके झगड़ा करवाना
हमको तो मंजूर नहीं
किसी के दिल को ठेस लगाना
हमको तो मंजूर नहीं
वादा करना और मुकर जाना
हमको तो मंजूर नहीं
सीखा प्यार निभाना काम आना
हमको सिर्फ मंजूर यही
@मीना गुलियानी
हमें ये लगता था
कुछ गलतफहमी थी
जो ये दूरी हुई
न जाने फासले
इतने क्यों बड़े
हम वहीँ पे खड़े
चलो माफ़ करदो
हुआ जो कसूर है
फिर मिटालें दूरियाँ
दिल मजबूर है
मिलना ज़रूर है
@मीना गुलियानी
याद रखो जीव एक पुष्प के समान है
हमें मेहनत से गुणों को निखारना है
उसकी रक्षा करनी है उसे पनपाना है
ताकि उसकी सुगन्ध चहुँ ओर फ़ैले
दुर्गुणों रूपी कीटाणुओं से बचाना है
उसे प्रेम से सहेजना और सींचना है
आशा लता फूलों से बगिया महकाएं
उसकी सुगन्ध से भँवरे गुनगुनाएँ
@मीना गुलियानी
आई परीक्षा की ये घड़ी है
खूब मेहनत की ये घड़ी है
समय का सदुपयोग किया है
सारे विषयों को दोहराया है
समय को व्यर्थ न गंवाया है
माता पिता का आशीष पाया है
मैंने तैयारी अपनी पूरी करी है
इसलिए चिंता बिल्कुल नहीं है
@मीना गुलियानी
कुछ तो कमी है
हवा में नमी है
दिल सहमा सा है
कुछ वीरानगी है
आंधी सी चली है
कांपी ये ज़मी है
धड़कन थमी है
सांसें भी थमी हैं
मौसम दिलकशी है
उमंगें उठ रही हैं
हलचल सी मची है
शमा जल रही है
कसक सी जगी है
तेरी ही कमी है
मिलना लाज़मी है
@मीना गुलियानी
दया ,धर्म , सद्भावना शब्द
सुनने में बहुत अच्छे हैं
इनको जीवन में उतारने से
मानव जीवन सार्थक होता है
प्राणी मात्र की सहायता करना
सबसे अच्छा व्यवहार करना
अच्छे संस्कारों को अपनाना
शुभ कर्मों में जीवन बिताना
किसी को कष्ट न पहुँचाना
जहाँ ये सारे गुण मौजूद हैं
वहीँ पर स्वर्ग बस जाता है
मानव जीवन के मूल मंत्र हैं
@मीना गुलियानी
आईना तो हमारे मन का दर्पण है
जैसी हमारी मन:स्थिति होती है
वैसा ही अक्स हमें उसमें दिखता है
हम आईने से झूठ नहीं छिपा सकते
क्योकि मन में ही ईश्वर रहते हैं
मन सच का साथी है बुराई का नहीं
अपनी कमी को सुधार सकते हैं
अपने जीवन में प्रकाश ला सकते हैं
हमें यही कोशिश करनी चाहिए कि
इस आईने पर धूल न जम पाए
नहीं तो अक्स अधूरा ही दिखेगा
स्वयं के दुर्गुणों का जब अंत करेंगे
तभी अपना पूरा अक्स देख पायेंगे
@मीना गुलियानी
खुली आँखों से हमने ख़्वाब देखे
पर हकीकत में वो ख़्वाब ही रहे
ख़्वाब सच के धरातल पे न उतरे
हम सोचकर बड़ी मुश्किल में पड़े
तुमको गर मुझसे दूर ही जाना था
तो फिर मुझसे दिल न लगाना था
हमने तो सोचा था आशियाँ बनायेंगे
पता न था ये ख़्वाब ही रह जायेंगे
@मीना गुलियानी
थोड़ा थोड़ा करके सहेजो
तभी तो कुछ बन पायेगा
नहीं तो सब बिखर जायेगा
सब एक साथ नहीं मिलता
धीरे धीरे सहेजो मिल जायेगा
छोटे छोटे अरमां ख्वाहिशें हैं
सब कुछ हासिल हो जायेगा
यकीन करो अपनी मेहनत पर
किश्ती को किनारा मिल जायेगा
उम्मीदों का गुलशन खिल जायेगा
@मीना गुलियानी
बस वही एक सुंदर चेहरा है
जिसने मुझपे जादू किया है
चैन दिल का छीन लिया है
सुकूँ से मुझे न जीने दिया है
दीवाना मुझको कर दिया है
जीना मेरा मुश्किल किया है
@मीना गुलियानी
हिफाजत कीजिये अपने हुनर की
बहुत मुश्किल से इसको पाया है
जब जब मुसीबत सर पे पड़ी
इन्हीं हुनरों ने मुझे बचाया है
हँसना सीखा ग़मों की गर्दिश से
दुनिया ने तो मुझे सताया है
जब ठोकर मुझे जहाँ की लगी
हौंसले से सुकून हुनर पाया है
चातक की पीहू पीहू रटन से ही
प्यार करने का हुनर पाया है
शमा पे कैसे जले है परवाना
जान देने का हुनर पाया है
कभी दामन फैलाना न पड़े
आजीविका का हुनर पाया है
किस्मत ने मुझे आजमाया है
जिंदगी जीने का हुनर पाया है
@मीना गुलियानी
बहुत कुछ हमें सहना पड़ता है
तब जाकर व्यक्तित्व निखरता है
भावनाओं का ज्वारभाटा उठता है
संवेदनाओं की आंधी चलती है
विद्रोह के स्वर मुखर होते हैं
मिथ्यारोपण भी होते रहते हैं
सबको शांत करना पड़ता है
कमल सा खिलना पड़ता है
@मीना गुलियानी
रात जैसे एक नदी है
भावनाओं की लहरें उठी हैं
मन में भी उमंगें भरी हैं
धरती भी झूम उठी है
तेरी पायल खनक उठी है
तू दुल्हन सी सजी है
तेरे हाथों में मेहँदी लगी है
माथे बिंदिया चमक रही है
तेरी चूनर सितारों जड़ी है
हीरे मोतियों की झूमर पड़ी है
चांदनी की नाव भी चल रही है
@मीना गुलियानी
वो जो अपना सा लगता है
प्यारा सा इक सपना लगता है
है वो उमंगों से भरा हुआ
रंगीन पतंगों सा उड़ता हुआ
है नर्म नर्म फूलों के जैसा
मखमली बिछौने के जैसा
खुशबुओं से वो भरा हुआ
एक जिद्दी नटखट के जैसा
दिल उसका है मोम के जैसा
डरती हूँ कहीं रूठ न जाए
छू लूँ गर तो टूट न जाए
उसे देखना अच्छा लगता है
बातें करना अच्छा लगता है
@मीना गुलियानी
ज़रा देखूँ तो सही क्या है तेरी रवानी
तेरी आँखों से जानू मैं तेरी कहानी
कितनी है सच्चाई सुनू तेरी ज़ुबानी
जानती हूँ तुझे दौलत का नशा है
इसी के प्यार में तू तो अंधा हुआ है
तुझे प्यार का मतलब भी न पता है
कैसे समझा पाऊँगी मैं तेरी दीवानी
रास्ते पे लाऊँगी तुझे मैंने भी ठानी
@मीना गुलियानी
दिल लगाके हम तो जीते हैं
सारे गम हम भुलाके जीते हैं
सबको अपना बनाके जीते हैं
जिंदगी मुस्कुरा के जीते हैं
खुद सलीके से हम तो जीते हैं
सबके दुखड़े मिटाके जीते हैं
बेसहारों को अपनाके जीते हैं
बेखुदी के अलम में जीते हैं
प्रभु की हम शरण में जीते हैं
@मीना गुलियानी
खुद से तुम क्यों ख़फ़ा रहते हो
हर समय उदास चुप रहते हो
मन की व्यथा मुझसे न कहते हो
अपने को कमतर क्यों समझते हो
तुम स्वयं एक अनमोल हीरा हो
दूसरों की बातों में क्यों आते हो
क्यों तुम अपना दिल दुखाते हो
मेरे लिए तुम सोने का सिक्का हो
उदासी त्यागो दुःख क्यों सहते हो
ग़लतफहमी में तुम क्यों रहते हो
अपना जी तुम क्यों जलाते हो
क्यों दुनिया की परवाह करते हो
क्यों दुनिया की बातों से डरते हो
@मीना गुलियानी
अगर खुश रहना तुम चाहो
फिर से तुम बच्चे बन जाओ
यूँ बिना बात के खिलखिलाओ
खुद ही रूठो और मान जाओ
किसी बात को दिल से न लगाओ
सब लोगों से दोस्ती को निभाओ
दिल में उमंगों के तूफ़ान उठाओ
मस्ती से तुम खेलो कूदो गाओ
खुलके सदा हँसो और झूम जाओ
खुली हवा में पतंगें तुम उड़ाओ
कभी तितली के पीछे भाग जाओ
कभी कागज़ की नाव को चलाओ
सपनों के सुंदर तुम महल बनाओ
बाहों के झूले में तुम झूल जाओ
सारे जिंदगी के ग़म भूल जाओ
@मीना गुलियानी
मौसम अपना रंग बदलते रहते हैं
पर कुछ ज़ख़्म हमेशा हरे रहते हैं
बेवफा शीशे का दिल तोड़ते ही हैं
काँच चुभते हैं जख़्म होते रहते हैं
लोग अपने वादों से भी मुकरते हैं
दिल को घायल वो यूँ भी करते हैं
कटु वचनों से आहत वो करते हैं
ईश्वर के न्याय से भी न डरते हैं
कुछ मंज़र यादों के भी उभरते हैं
उनके भी ज़ख़्म हरे ही रहते हैं
वक्त गुज़रने से भी न भरते हैं
@मीना गुलियानी
ईश्वर के पास हमारे कर्मों का लेखा जोखा है
हम जो भी अच्छे बुरे कर्म करते हैं उनका
हिसाब किताब वो रखता है स्वर्ग नर्क यहीं है
अच्छे कर्मों से व्यक्ति को खुशियाँ मिलती हैं
तो बुरे कर्मों से उसको दुःख नसीब होता है
अर्थात खुशियाँ स्वर्ग का प्रतीक हैं और दुःख
नर्क का प्रतीक हैं इसलिए यदि हम आम
खाना चाहते हैं तो बीज भी वैसा बोना होगा
बबूल के बीज बोने से आम पैदा नहीं होगा
ईश्वर ने आत्मा रूपी सफेद चादर दी है उसे
हमें सत्कर्मों से निर्मल स्वच्छ रखना होगा
मैली चादर ओढ़कर हम वहाँ नहीं जा सकेंगे
@मीना गुलियानी
उसका पता हम पूछते पूछते
कितनी दूर तक निकल आये
फासले दूरियों के मिटा आये
अब तो लगता है पास है वो
उसकी गली तक हम चले आये
खोलो दरवाज़ा -ऐ -दिल देखलो
बड़ी मुश्किल से पता ढूँढ पाए
@मीना गुलियानी
सहयोग करते रहिये
जीवन का सदुपयोग
आप करते ही रहिये
करके भला कभी भी
किसी से न जताईये
करके सहयोग मुस्कुराईये
अपनी झोली आप इन
मुस्कानों से भरते रहिये
@मीना गुलियानी
कह लो है जो कहना
यूँ गुमसुम मत रहना
यूँ उदास भी न रहना
मुश्किल है सब सहना
जिंदादिल बनके रहना
यूँ डरके भी मत रहना
हँसते हुए जग में रहना
कभी गमगीन न रहना
गफ़लत में न रहना
भावनाओँ में न बहना
@मीना गुलियानी
आपसे प्यार है
मुझको इकरार है
इश्क बेशुमार है
मौसमे बहार है
करना इज़हार है
सपने हज़ार हैं
छाया खुमार है
पहरे हज़ार हैं
तेरा इंतज़ार है
ये दिल लाचार है
मिलना दुश्वार है
@मीना गुलियानी
मैं तुमसे कैसे मिल पाऊँ
कैसे तुम संग नैन मिलाऊँ
कैसे प्रीत की रीत निभाऊँ
कैसे अपनी व्यथा बताऊँ
सारा जग मेरा वैरी बना है
कैसे इससे मैं पीछा छुड़ाऊँ
दुनिया ने पहरे हैं लगाए
कैसे इनसे मैं बच पाऊँ
इक इक पल युग सम लागे
मैं बिरहन बन अकुलाऊँ
चंदा बिन चकोरी है जैसे
कहीं तड़प के न मर जाऊँ
तुम ही कोई राह बताओ
कैसे तुमको मैं मिल पाऊँ
@मीना गुलियानी
प्यार से मुझको गले लगाकर
माँ ने माथा मेरा चूम लिया
ममता की बौछारों में फिर
दिल तो ये मेरा झूम गया
सारे ज़माने के दुःख चिंता
लिपटकर माँ से भूल गया
उसके प्यार के आगे जग फ़ीका
हुआ ये ज्ञान जग भूल गया
दुनिया के सारे स्वर्ग यहाँ हैं
तेरी गोदी में मैं झूल गया
फिर वही लोरी गाके सुना दो
बचपन के ज़माने भूल गया
तुम मुझको बाहों में सुला दो
सारी शैतानी अब भूल गया
माँ मुझको कान्हा सा सजा दो
बंसी को बजाना भी भूल गया
@मीना गुलियानी
आजकल उन तक मेरी
बात पहुँचती ही नहीं है
पहले तो बिना कुछ कहे
वो सब जान जाते थे पर
अब आते जाते भी कम हैं
फोन पर नेटवर्क नहीं होता
कभी अधिक व्यस्त होते हैं
कैसे उनको बताऊँ उन बिन
इक पल जीना भी दुश्वार है
पवन के झोंकों से कहूँ या
बादलों को दूत बनाऊँ कैसे
अपना संदेश उन तक भेजूँ
मैं तो चंदा बिन चकोरी
जैसी बन चुकी हूँ तारे ही
प्रतीक्षा में गिनती रहती हूँ
जाने कब वो मेरी सुध लेंगे
@मीना गुलियानी
दिल में उम्मीद के बीज रोपदो
फिर पौधा भी उग जायेगा
लक्ष्य बाण को भेद दो तुम
फिर कर्म सिद्ध हो जायेगा
पहले रूप रेखा को खींच लो
चित्र स्वयं ही बन जायेगा
निश्चय पर अडिग रहो तुम
जो चाहोगे तुम हो जायेगा
@मीना गुलियानी
जिंदगी नाम है वफ़ा का
जो बहुत कम करते हैं
कसमें खाते हैं तोड़ते हैं
ग़म से रिश्ता जोड़ते हैं
फिर तन्हा छोड़ देते हैं
बेवफ़ाई रुसवाई करते हैं
वफ़ा का दम वो भरते हैं
चेहरे पे नकाब ओढ़ते हैं
भटकने के लिए छोड़ते हैं
@मीना गुलियानी
आज तो कितना सुखद संयोग है
आखिर मेरी दुआ रंग ले ही आई
तुमको मुझसे फिर से मिला दिया
कबसे हम मिलने को तरस रहे थे
आज फिर से वो सुहाने पल हैं
वही गगन और तारों भरी रात
हँसता हुआ चाँद महकता गुलशन
तुम्हारे हाथों में मेरा है ये हाथ
संयोग ने जीवन में रोमांच भर दिया
हमेशा के लिए हमें फिर एक कर दिया
@मीना गुलियानी
मेरा इरादा तुमसे बिछुड़ने का नहीं था
पर क्या करें वक्त ही कुछ ऐसा हुआ
कि तुमसे मुझे दूर जाना ही पड़ा था
हालात ने ऐसा करने पर मजबूर किया
वक्त का क्या भरोसा कल न जाने वो
ऊँट किस करवट बैठे और हमें फिर
एक दूसरे से हमेशा के लिए मिला दे
तब तक हम दुआ ही तो कर सकते हैं
@मीना गुलियानी
जीवन बहुत बहुमूल्य है
यह ईश्वर द्वारा प्रदत्त है
इसे व्यर्थ मत गंवाओ
इसका आदर सम्मान करो
संवारो,निखारो ,बेहतर बनाओ
जीवन का अभिनन्दन करो
खुद को काबिल इन्सां बनाओ
@मीना गुलियानी
वो फूल जो तुमने
पहली बार दिया था
आज तक मैंने उसे
सबसे छुपाकर रखा है
किताबों के पन्नों में
उसे दबाकर रखा है
क्योंकि मेरे प्यार की
पहली निशानी है ये
धड़कन बना रखा है
यादों में बसा रखा है
@मीना गुलियानी
तुम अपना काम करो
मुझसे मत उलझा करो
मेरी तरफ न देखा करो
अपने काम पे ध्यान दो
समय खराब मत करो
काम ध्यान से तुम करो
काम धैर्य से तुम करो
जल्दबाजी में मत करो
लापरवाही से मत करो
मुझे न सताया करो
खुद ही निपटाया करो
@मीना गुलियानी
भरोसा कर लिया मैंने
तुम्हारी इन बातों पर
शायद तुमने सही कहा
तुमने विश्वासघात किया
भोलेपन का फायदा उठाया
मैंने तुम पर एतबार किया
पर तुमने दुर्व्यवहार किया
नाजायज़ फायदा उठाया
@मीना गुलियानी
कबसे मैं तुम्हारा इन्तज़ार कर रही थी
लेकिन तुमने आने में बहुत देर करदी
फ़िज़ा का सुहाना मौसम बदल गया है
चंदा गगन में न जाने कहाँ गुम गया है
तारे भी लुका छिपी का खेल खेल रहे हैं
हम भी तन्हाई में खुद सांसें समेट रहे हैं
कुदरत के नज़ारे भी शोखियाँ दिखा रहे हैं
दिल के सारे अरमान थककर सो गए हैं
रास्ते सभी सुनसान बियाबान हो गए हैं
फ़ुरक़त के वो लम्हे अब सारे खो गए हैं
हम फिर से तेरे लिए बेकरार हो गए हैं
@मीना गुलियानी
हमें अपने तन मन को
सजाकर रखना पड़ता है
उसी प्रकार जैसे घर को
सजाकर रखना पड़ता है
तन की सुंदरता भी यदि
मन सुंदर है तो निखरेगी
अत: ऊपरी चमक गौण है
आन्तरिक सुंदरता को ही
निखारने की आवश्यकता है
@मीना गुलियानी
वसन्तऋतु में फूल को खिलना था
यह सब होने देना था
पत्तों को पतझड़ में बिखरना था
इनको बिखरने देना था
नए फूलों में कोंपलों का फूटना था
इनको फूटने देना था
पतझड़ में डालियों को टूटना था
इनको टूटने देना था
पुराने पत्ते डालियों से टूटकर गिरेंगे
तभी तो नए फूल खिलेंगे
@मीना गुलियानी
फिलहाल इस मसले को उठाना ठीक नहीं
गलतियाँ हम दोनों से ही हुई हैं फिर
अकेला वही क्यों इसका ख़मियाज़ा भुगते
यह तो नाइन्साफ़ी होगी उसके साथ में
हाल फिलहाल इस बात को टाल देते हैं
फ़ुरसत मिलने पर इस बात पर गौर करेंगे
फिर जो भी नतीजा होगा हम अमल करेंगे
@मीना गुलियानी