बिख़र गए सुनहरे स्वप्न
हो गईं अकेली शामें सुबहें
वो प्रेमालाप की धड़कन
किसी सोच में डूबा है मन
तन्हा जिन्दगी का सफ़र
कटेगा कैसे बिना हमसफ़र
@मीना गुलियानी
हो गईं अकेली शामें सुबहें
वो प्रेमालाप की धड़कन
किसी सोच में डूबा है मन
तन्हा जिन्दगी का सफ़र
कटेगा कैसे बिना हमसफ़र
@मीना गुलियानी
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