यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, 3 अप्रैल 2024

bhent--9

झण्डेवाली मैया जी बदलती नसीब है 

कोई कोई ऐसा यहाँ होता खुशनसीब है  


हाथों की चाहे टेढ़ी मेढ़ी हों लकीरें 

बदलतीं हैं इसके दर पे सबकी तकदीरें 

पहुँचता वही जो लेके आया तकदीर है 


किस्मत का उसकी मैया ताला है खुलता 

जो भी श्रद्धा से द्वारे तेरे आके झुकता 

भरती खज़ाने खुले उसका नसीब है 


सबकी मुरादें मैया पूरी है करती 

माल खज़ाने से झोली माँ भरती 

हाथों से अपने माँ संवारती नसीब है 

 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें