मेरे मन मन्दिर में माँ इक दीप जला देना
ओ झण्डेवाली माँ अन्धकार मिटा देना
तेरी भक्ति में लीन रहूँ हर पल तेरी पूजा करूँ
तेरे सिमरन से माता मन के सन्ताप हरूँ
तुम अपनी ममता को हर तरफ लुटा देना
हर तरफ अन्धेरा है कोई नहीं मेरा है
किश्ती मेरी डूब रही मंझधार ने घेरा है
पतवार चलाओ तुम मेरी नैया बचा लेना
तेरे दर जो आ जाए मुँह माँगा पा जाए
रोता हुआ जो आए हँसता हुआ वो जाए
हर ग़म को दूर करो अज्ञान मिटा देना
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