यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, 5 अक्तूबर 2019

आज पराया

तुमने तन्हा रहकर देख लिया ना
क्या कुछ सुकूँ तुम्हें मिल पाया
हर तरफ इक सन्नाटा सा छाया
दूर हुआ तेरा अपना भी साया
हुआ मनमीत भी आज पराया
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें