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गुरुवार, 31 अक्तूबर 2019

कमरे में सजाते थे

प्यार  कब जीवन में आया पता न चला
सुबह की धूप की तरह बिस्तर,दीवारों
सीढ़ियों से चढ़कर गलियारे में उतरकर
पेड़ पौधों की पत्तियों फूलों से गुज़रकर
दिल में समाया , मन को पुलकित किया
तुम्हारा साथ मेरे मन को बहुत भाता है
तुमसे हमेशा बात करने में मज़ा आता है
पेड़ों के झुरमुट में हम खो जाया करते थे
रंग बिरंगे चित्रों से हम अपनी जिंदगी का
खूबसूरत सा कैनवास कमरे में सजाते थे
@मीना गुलियानी 

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