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शुक्रवार, 4 अक्तूबर 2019

फ़साना बन जाए

हाले दिल लिखा नहीं जाता
मन की आँखों से इसे पढ़ो
लफ़्ज़ों में लिखा नहीं जाता
जज़्बात जुबां पर आये तो
डर लगता हमें रुसवाई का
हर अश्क जो आँखों से आये
खुद एक फ़साना बन जाए 
@मीना गुलियानी 

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