यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, 7 अक्तूबर 2019

पीड़ा बढ़ाते हैं

किसी की पीड़ा को कौन समझे
केवल व्ही जान सकता है जिसने
इस दर्द को खुद कभी झेला हो
बाकी दुनिया तो मज़ाक उड़ाती है
सबसे अपना दर्द छुपाना चाहिए
उजागर होने पर दर्द नासूर बनता है
रह रह कर उसमें टीस उठती है
लोग भी कुरेदकर पीड़ा बढ़ाते हैं
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें