चितवन से तुम ऐसे झांको
जो कौंध के बिजली गिर जाए
बेताब ऐ दिल का ख्याल करो
दो पल ही सकूँ बस मिल जाए
जज़्बात जुबां पर गर आएं
डर है हमको रुसवाई का
इक अश्क भी गर आँखों से
खुद एक फ़साना बन जाए
हर तूफां स टकराया हूँ
है सैलाबों से प्यार मुझे
या रब मैने कब चाहा है
कि सामने साहिल आ जाए
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